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भोली भाली




तू मनकी भोली-भाली हो
जैसे कवि की तू ताली हो ।
मनहर तेरा रूप सलोना
भोर-भास्कर की लाली हो ।।

यौवन-भार भरा भारी है
डी पी से मन आभारी है ।
केश उमडते बादल जैसे
ऑख तुम्हारी रत्नारी है ।।

मन मेरा चंचल होता है
रोज तुम्हारा कल होता है ।
घुमा-घुमा अपनी करती हो
भारी मेरा पल होता है ।।

नही सुलभ संयोग हमारा
हरा रही या खुद से हारा ।
मन -दर्पण पर अंकित रहता
वह पावन प्रतिविम्ब तुम्हारा ।।
डॉ दीनानाथ मिश्र 


चाल तेरी लगती मतवाली


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1 Comments

Renu

09-May-2023 06:30 PM

👍👍

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